भूमि वापसी, विस्थापन, पुनर्वास और मछुआरा परिवारों की समस्याओं पर हुई विशेष चर्च


बरगी। बरगी बांध से विस्थापित होकर बरगी बांध के आसपास बसे ग्रामीणों के साथ स्थानीय सच्चा प्रयास समिति बरगी नगर के संयोजन में एक आवश्यक बैठक संस्था कार्यालय में की। बैठक में मुख्य रूप से विस्थापन एवं पुनर्वास समिति के संभागीय सदस्य तथा बरगी बांध मत्स्य महासंघ के पूर्व अध्यक्ष राजेश तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता एडवोकेट राहुल श्रीवास्तव, परवेज खान की उपस्थिति में बैठक की चर्चा आगे बढ़ाई गई बैठक में विस्थापन, पुनर्वास, डूब से अप्रभावित अर्जित भूमि की वापसी तथा मछली ठेके के निजीकरण के बाद उत्पन्न 5000 से अधिक मछुआरा परिवारों की आजीविका संकट और पलायन के मुद्दों को लेकर आज गंभीर विचार विमर्श किया गया। बैठक में बरगी बांध से विस्थापित तथा प्रभावित हुए आसपास के ग्राम जैसे खापा ग्वारी, खमरिया, बिजोरा ,सगड़ा, मनकेडी, हरदुली, मगरधा, खामखेड़ा, जैसे आसपास के 15 ग्रामों के लोगों ने इस बैठक में आकर अपने-आप ने ग्राम की तथा व्यक्तिगत समस्याओं पर बैठक का ध्यान आकर्षित करवाया  प्रभावित परिवारों ने अपने अनुभव और समस्याएं साझा कीं। वक्ताओं ने कहा कि बरगी बांध परियोजना के चलते हजारों परिवारों को पुनर्वास तो मिला, परंतु आज तक उनकी मूलभूत समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। जैसे जो लोग जिस दिन राहों में रह रहे हैं वह ग्राम आज भी राजस्व रिकॉर्ड से बाहर हैं जो ग्राम 1 ग्राम है उन ग्रामों को आज भी राजस्व ग्रामों का दर्जा नहीं मिला है वन भूमि पर कागज लोग आज भी वन अधिकार के पेट के लिए प्रयासरत हैं अन्य परंपरागत निवासी भी पट्टों से वंचित हैं। भूमि वापसी पर गहन चर्चा

बरगी बांध द्वारा बांध निर्माण के समय क्षेत्रीय कृषिकों की ली गई भूमि का अर्जेंट तो कर लिया गया पर ऐसी भूमि भी अधिक रहित कर ली जो बरगी बांध परियोजना के किसी काम की नहीं थी और आज भी अनुपयोगी पड़ी हुई है और जिस पर आज भी संबंधित कृषक का अपना कब्जा बरकरार है ऐसी धूप से अर्जित की गई किंतु प्रभावित भूमि की वापसी के लिए पूर्व में बरगी बांध क्षेत्र के 54 कृषकों द्वारा भूमि वापसी के प्रकरण लगाए गए थे जिसमें 22 लोगों के भूमि वापसी के प्रकरण हल भी हुए हैं पर पिछले लंबे समय से इस पर कोई भी ध्यान नहीं दिया गया सच्चा प्रयास की पहल पर एक बार फिर इस मुद्दे पर काम करना प्रारंभ किया गया है।

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