तेज़ी से बढ़ते तापमान ने बच्चों की पढ़ाई पर सीधा असर डालना शुरू कर दिया है। कई निजी स्कूलों ने अपने समय में बदलाव कर छात्रों को गर्मी से राहत देने की कोशिश की है, लेकिन सरकारी स्कूलों में आज से फिर से नियमित कक्षाएं शुरू हो गई हैं — बिना किसी व्यापक तैयारी या लचीलापन दिखाए।
विशेषज्ञों और अभिभावकों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में भी लू और हीटवेव को ध्यान में रखते हुए समय और शैक्षणिक व्यवस्था में बदलाव होना चाहिए था।
क्या शिक्षा विभाग मौसमी परिस्थितियों को नजरअंदाज कर रहा है? और क्या सरकारी स्कूलों के बच्चों को राहत देने की जिम्मेदारी किसी की नहीं?
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