एक मंदिर के सन्नाटे में छुपी दिल दहला देने वाली वारदात ने कस्बा मेंडू की नींद उड़ा दी है। मंगलवार सुबह भैरव मंदिर के समीप एक झोपड़ी के बाहर लोगों ने खून से लथपथ महिला साधु रेखा देवी का शव देखा तो इलाके में सनसनी फैल गई। 65 वर्षीय रेखा देवी, बीते पांच वर्षों से एक बुजुर्ग साधु के साथ मंदिर के पास बनी झोपड़ी में साधना व एक सामान्य जीवन व्यतीत कर रही थीं। भीख और कबाड़ बीनकर अपना पेट भरने वाली इस जोड़ी की जीवन-यात्रा अचानक हिंसा में बदल जाएगी—किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
स्थानीय लोगों ने बताया कि रेखा देवी और उनका साधु साथी मंदिर परिसर में वर्षों से रहते थे और किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। लेकिन मंगलवार सुबह जब श्रद्धालु मंदिर पहुंचे, तो रेखा देवी का शव खून से लथपथ झोपड़ी के बाहर पड़ा मिला। सिर और पेट पर डंडों से मारे जाने के गहरे घाव साफ दिखाई दे रहे थे।
पुलिस को शक, साधु ही निकला हत्यारा
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। प्रारंभिक जांच के बाद यह सामने आया कि रेखा देवी के साथ रहने वाला बुजुर्ग साधु लापता है। सीओ सिकंदराराऊ जेएस अस्थाना ने संवाददाताओं को बताया कि जांच के दौरान यह तथ्य उभरकर आया है कि उसी बुजुर्ग साथी ने रेखा देवी के सिर पर डंडा मारकर उसकी हत्या की। पुलिस अब फरार साधु की तलाश में संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है।
संघर्ष के पीछे क्या था कारण?
पुलिस अधिकारी इस हत्याकांड को एक आंतरिक विवाद की उपज मान रहे हैं। सीओ अस्थाना का कहना है कि अभी हत्या के पीछे की वजह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह संभावना जताई जा रही है कि दोनों के बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ होगा, जिसने उग्र रूप धारण कर लिया। एक छोटे से झगड़े ने एक बुजुर्ग महिला की जान ले ली।
मंदिर परिसर में डर का साया
इस घटना के बाद भैरव मंदिर क्षेत्र में भय का माहौल है। श्रद्धालु और स्थानीय लोग स्तब्ध हैं कि जिस जगह को वे अध्यात्म और शांति का केंद्र मानते थे, वहां इस प्रकार की जघन्य हत्या हो सकती है। मंदिर के पुजारियों ने प्रशासन से सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलेंगे और राज
रेखा देवी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद हत्या की प्रकृति और समय को लेकर कई अहम सुराग मिल सकते हैं। यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं है, यह उस उपेक्षित समाज की करुण गाथा भी है, जो समाज के हाशिये पर जी रहा है। साधु की वेशभूषा में रह रहे इन बुजुर्गों के जीवन में कितना संघर्ष, अकेलापन और आक्रोश छिपा था, यह अब इस खून में भीगे दृश्य से सामने आया है।