उत्तर भारत में फैले वाहन चोर गिरोह का पर्दाफाश: गैंगस्टर समेत तीन गिरफ्तार, दिल्ली-उत्तराखंड तक फैला था नेटवर्क


वाहन चोरी की घटनाओं से परेशान उत्तर भारत के कई राज्यों को राहत की खबर मिली है। हापुड़ पुलिस और स्वाट टीम ने एक बड़े अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए गिरोह के सरगना समेत तीन कुख्यात अपराधियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के साथ ही दिल्ली, उत्तराखंड और बागपत से चोरी की गई लग्जरी गाड़ियाँ, अवैध हथियार, फर्जी नंबर प्लेट और वाहन चोरी में प्रयुक्त उपकरण भी बरामद किए गए हैं।

यह कार्रवाई रविवार देर रात थाना पिलखुवा क्षेत्र के डूहरी पेट्रोल पंप के पास की गई, जब पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि वाहन चोर गिरोह के सदस्य इलाके से गुजरने वाले हैं।

सूचना मिली, घेराबंदी हुई, और दबोच लिए गए तीनों अपराधी

थाना पिलखुवा प्रभारी निरीक्षक पटनीश कुमार व स्वाट प्रभारी के नेतृत्व में पुलिस टीम ने संयुक्त रूप से मौके पर घेराबंदी की। मुखबिर की सूचना पर जब संदिग्ध कार को रुकने का इशारा किया गया, तो उसमें सवार तीन युवक फरार होने की कोशिश करने लगे। लेकिन मुस्तैद पुलिसकर्मियों ने थोड़ी ही देर में उन्हें दबोच लिया।

गिरफ्तार किए गए आरोपितों की पहचान इस प्रकार है:

  • अजय तोमर, निवासी बावली गांव, थाना बड़ौत, जिला बागपत — गिरोह का सरगना

  • इरफान, निवासी पूरबा करामत अली, थाना देहली गेट, मेरठ — 9 मुकदमों में वांछित, मुजफ्फरनगर में गैंगस्टर, ₹5,000 का इनामी

  • प्रशांत उर्फ गुड्डू, निवासी न्यू मार्केट बेगमपुर, थाना सदर बाजार — 4 आपराधिक केस दर्ज

बरामदगी से खुला नेटवर्क का राज

पूछताछ और निशानदेही के बाद पुलिस ने दिल्ली, उत्तराखंड और बागपत से चोरी की गई तीन कारें, पांच जोड़ी फर्जी नंबर प्लेट, दो तमंचे, दो कारतूस और वाहन चोरी में इस्तेमाल होने वाले विशेष उपकरण बरामद किए हैं।

एसपी हापुड़ ज्ञानंजय सिंह ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ सहारनपुर, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, पीलीभीत, मेरठ, दिल्ली, हरिद्वार सहित कई जिलों के थानों में मुकदमे दर्ज हैं। अकेले अजय तोमर पर 25 मुकदमे, इरफान पर 9, और गुड्डू पर 4 मुकदमे दर्ज हैं।

पूरी तरह संगठित था गिरोह, राज्यों की सीमाओं से परे फैला जाल

आरोपियों ने पूछताछ में खुलासा किया कि गिरोह का काम बेहद संगठित था।

  • वे रात में संभावित वाहनों की रेकी करते थे।

  • फिर लॉक तोड़ने वाले उपकरणों से गाड़ियों को चोरी कर लेते।

  • चोरी के बाद वाहन पर फर्जी नंबर प्लेट लगाकर उन्हें बेच दिया जाता था — कभी सीधे भोले-भाले ग्राहकों को, तो कभी कबाड़ी को।

  • बिक्री से मिली रकम को गिरोह के सदस्य आपस में बांट लेते थे।

अभी और गिरफ्तारी बाकी, पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है

गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में गिरोह के कुछ अन्य सदस्यों के नाम भी सामने आए हैं। पुलिस ने फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अभियान तेज कर दिया है। सीमावर्ती राज्यों में पुलिस की टीमें सक्रिय कर दी गई हैं।

एसपी ज्ञानंजय सिंह ने बताया कि यह सफलता पुलिस की निरंतर निगरानी, सूचना तंत्र और त्वरित कार्रवाई का परिणाम है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस गिरोह के सफाए के बाद वाहन चोरी की घटनाओं में निश्चित गिरावट आएगी।

 पेशेवर अपराधियों की पोल खुली, लेकिन क्या यह आखिरी गिरोह होगा?

इस कार्रवाई ने यह साफ कर दिया है कि वाहन चोरी अब केवल एक ‘छोटा-मोटा’ अपराध नहीं, बल्कि एक संगठित अंतरराज्यीय उद्योग का रूप ले चुका है। उत्तर भारत के कई जिलों में सक्रिय ऐसे गिरोहों का खुलासा होना न सिर्फ कानून-व्यवस्था की जीत है, बल्कि आने वाले समय में पुलिस की सक्रियता और ठोस रणनीति की मांग भी करता है।

अब उम्मीद की जा रही है कि पुलिस इस गिरोह की जड़ तक पहुंचकर आम लोगों की मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने में और सख्ती बरतेगी।


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