"हिसाब नहीं आता तो कैलेंडर क्यों छापते हैं?"

 


2025 का जून हिमाचल की राजनीति में हास्य और हैरानी दोनों का प्रतीक बन गया है। वजह – भाजपा का वह कैलेंडर, जिसमें जून के 30 नहीं बल्कि 31 दिन हैं।
ऐसा नहीं है कि यह कोई मामूली प्रिंटिंग मिस्टेक है। सवाल उठता है कि जब ये कैलेंडर हजारों की संख्या में छपवाया गया, प्रचारित हुआ, बांटा गया – तो किसी ने इसे देखा नहीं?
हैरत की बात यह है कि पार्टी के पास IT सेल, प्रचार विभाग, सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल है, लेकिन "जून में 31वां दिन" इन सबसे बच निकला!
ये केवल एक तारीख की गलती नहीं – यह एक लक्षण है, उस राजनीति का जो प्रचार में इतनी डूबी है कि वास्तविकता का ख्याल रखना ही भूल जाती है। क्या यही है 'डबल इंजन' की गवर्नेंस?

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