याद-ए-अफरीदी मुशायरा में श्रोता हुए मंत्र मुग्ध



जबलपुर। वयोवृद्ध वरिष्ठ पत्रकार का़दिर खा़न अफ़रीदी की स्मृति में सांस्कृतिक संस्था हम सब द्वारा स्थानीय गोहलपुर स्थित पुराने पुल में आल इंडिया मुशायरा का आयोजन समाजसेवी पप्पू वसीम खान, प्रशांत मिश्रा, हाजी मुईन खान की मुख्य अतिथि में व पार्षद याकूब अंसारी, वकील अंसारी, हाशिम राजा, इरफान झास्वी की  विशिष्ट अतिथि में तथा हाजी मज्जू कुरैशी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। मुशायरा का शुभारम्भ पठान समाज सरदार वरिष्ठ पत्रकार हाजी मुईन खान ने शमा रोशन मोमबत्ती जलाकर किया। अथितियो के स्वागत पश्चात सभी ने स्व. श्री अफरीदी के प्रति अपने श्रद्धा सुमन व्यक्त किए। इस दौरान स्व. कादिर खान अफरीदी को मरणोपरांत तजियात नामा खिताब से नवाजा गया, जिसे स्व. श्री खान के पुत्र राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी शकील खान अफरीदी व उनकी पोती कु. ज़ेबा खान ने नम आंखों से ग्रहण किया। मुशायरा में शायर वली शमिमी बुराहनपुर, अविनाश बंधु पटना, नितेश नैश भीपाल, जहीर राज इंदौर, डॉ.प्रतिभा पटेल, डॉ.रानू रूही, डॉ.दीपशिखा सागर, अशोक शकफ़ लखनादौन, रिजवान हकीमी, नवाब कौसर, परवेज़ परवाज, अरशद नूरी, जावेद नाज़ के कलमों से बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोता झूम उठे, शायरो ने भी खूब वाह वाही बटोरी। मशहूर शायर मकबूल ज़फ़र जबलपुरी ने स्व.खान को श्रद्धांजलि पेश करते हुए पढा "शौक़े सुख़न नवाजी़ की लेकर हर इक अदा 

शम ए ख़ुलूस बन के जो रोशन सदा रहा दस्तारे अफ़रीदी क़बीला के साए में सांसों ने जिसकी पाई थी तहज़ीब की हवा 

उस सरहदी पठान की जिंदादिली "ज़फर" 

उर्दू अदब को शहर में देती रही बक़ा बज़्मे सुख़न में उसका अनोखा मका़म है उसको सदा सलाम बसद एहतराम है"। देर रात तक चले मुशायरा का संचालन हम सब संस्था के संस्थापक शायर मन्नान फ़राज़ द्वारा और आभार शायर मक़बूल ज़फ़र जबलपुरी द्वारा किया गया।


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