जबलपुर: जन्मदिन की पार्टी में खूनी विवाद, भाजयुमो नेता पर लगे आरोप

 बरगी नगर के एसएसबी रिसॉर्ट में रविवार रात जन्मदिन की खुशियां खून-खराबे में तब्दील हो गईं। एक सिगरेट को लेकर शुरू हुआ मामूली विवाद देखते-देखते हथियारों की नोक पर बदल गया। इस झगड़े में पांच युवक गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें से कुछ की हालत नाजुक बताई जा रही है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस हमले का आरोप भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) मंडल अध्यक्ष राकेश उर्फ गोलू आर्मो और उसके साथियों पर लगा है।

कैसे बढ़ा विवाद – सिगरेट से शुरू होकर खून तक पहुंचा मामला

सूत्रों के मुताबिक, जबलपुर से आए शरद यादव अपने दोस्तों आशुतोष नाथ, अभिलाष चौधरी, विष्णु रजक और राहुल पाठक के साथ बरगी के एसएसबी रिसॉर्ट में जन्मदिन मना रहे थे। पार्टी के दौरान अभिलाष चौधरी फोन पर बाहर बात करने निकला और सिगरेट पीने लगा। तभी स्थानीय युवक अंकित पटेल ने उससे सिगरेट मांगी, जिस पर अभिलाष ने साफ मना कर दिया। बस, यही से विवाद की चिंगारी भड़क उठी।

बताया जा रहा है कि अंकित ने अपने साथी राजेंद्र पटेल को साथ लेकर तुरंत भाजयुमो नेता राकेश आर्मो को कॉल कर बुला लिया। कुछ ही देर बाद गोलू आर्मो अपने दर्जनभर साथियों के साथ वहां पहुंचा और फरसा, चाकू व पिस्टल से लैस होकर हमला कर दिया।

गर्दन पर हमला किया गया” – घायलों का आरोप

घायल आशुतोष नाथ ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि बीच-बचाव करने की कोशिश करते समय भाजयुमो नेता ने उस पर वार किया। “गर्दन पर हमला किया गया था, लेकिन मैं झुक गया, जिससे वार कंधे पर लग गया।” आशुतोष का आरोप है कि यह हमला पूरी तरह से सोची-समझी साजिश थी और गोलू आर्मो ही इसका मास्टरमाइंड है।

अन्य घायलों का कहना है कि हमलावर गैंग हथियारों से लैस होकर “जान से मारने की नीयत” से रिसॉर्ट पहुंचे थे।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई

वारदात के तुरंत बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। कई युवक रिसॉर्ट से भागकर सीधे बरगी नगर पुलिस चौकी पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। चौकी प्रभारी एसआई सरिता पटेल ने टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर घायलों को इलाज के लिए भेजा और बयान दर्ज किए।

एसआई सरिता पटेल का कहना है – “एसएसबी रिसॉर्ट में जन्मदिन पार्टी के दौरान दो पक्षों में विवाद हुआ है। घटना की जांच जारी है और आरोपियों की तलाश की जा रही है।”

भाजयुमो नेता पर गंभीर सवाल

इस घटना के बाद राजनीतिक हलकों में भी हलचल मच गई है। विपक्ष ने सवाल उठाया है कि जब सत्ता पक्ष से जुड़े युवा नेता ही कानून हाथ में लेने लगेंगे, तो आम जनता की सुरक्षा किस पर छोड़ी जाए?

स्थानीय लोग भी दबी जुबान में कह रहे हैं कि गोलू आर्मो और उसके साथी लंबे समय से इलाके में दबंगई दिखाते रहे हैं। अब सवाल यह है कि क्या पुलिस निष्पक्ष जांच कर पाएगी या मामला राजनीतिक दबाव में दबा दिया जाएगा।

फिलहाल घायलों का इलाज निजी अस्पताल में जारी है और पुलिस आरोपियों की तलाश में छापेमारी कर रही है। लेकिन यह घटना एक बार फिर इस सच्चाई को उजागर करती है कि छोटी-सी बात कैसे कानून-व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा बन सकती है।


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