जब कोई शहर सिर्फ पुरस्कार नहीं, पहचान जीत ले — तब समझिए संस्कृति में क्रांति हो चुकी है। इंदौर की यह कहानी केवल सफाई की नहीं, एक सामाजिक पुनर्जाग
रण की है, जहाँ IAS पी. नरहरि और गीतकार देवरिषि ने एक गीत के माध्यम से कचरा गाड़ी को बच्चों की प्रतीक्षा का कारण बना दिया।
"हो हल्ला" सिर्फ धुन नहीं, यह शहर की चेतना है — जो शादियों में बजती है, स्कूलों में गूंजती है, और अब हर सुबह की पहली आवाज़ बन चुकी है।
शहर ने स्वच्छता को आदेश नहीं, उत्सव बना दिया।
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