"सुमित की आखिरी साँस और अधूरी मोहब्बत की क़ीमत"

 


माँ की ममता का इकलौता सहारा, एक होनहार बेटा – सुमित शर्मा। 15 अगस्त की शाम जब उसका फोन स्विच ऑफ हुआ, तब किसी ने नहीं सोचा था कि अगली सुबह खेत में उसकी खामोश लाश मिलेगी।

प्रेम, विद्रोह और सामाजिक दबावों के बीच सुमित की हत्या ने उस दर्द को उजागर किया है, जो प्रेम को अपराध बना देता है। आरोपी दुर्गेश तिवारी की तस्वीरें – एक तरफ मिठाई बाँटते, दूसरी ओर भाजपा विधायक की कार के आगे मुस्कराते – इंसानियत पर सवाल उठाती हैं।

यह सिर्फ हत्या नहीं, एक सपने की निर्मम हत्या है। न्याय अब सिर्फ कानून का मामला नहीं, समाज की आत्मा का प्रश्न बन चुका है।

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