जबलपुर! हजरत इमाम हुसैन की शहादत के पर्व मुहर्रम की सोमवार को 4 तारीख है। इमामबाडो मे प्रतिदिन जायरीनों का इजाफा हो रहा है।
शानदार सजावट- मुहर्रम पर रोशनी व सजावट करने की परंपरा बहुत पुरानी है। नालबंद मुहल्ला, चार खंबा, मोतीनाला, बहोराबाग, मदार टेकरी, अजीजगंज, टक्कर ग्राम, भान तलैया, फूटाताल, गलगला, गुरंदी, हनुमान ताल, कोतवाली, ओमती घंटाघर, तैयब अली चौक, नया मोहल्ला सहित सदर बाजार की गलियां एवं गढ़ा की मुस्लिम बसि्तयोंमे सजावट की तैयारीया जोरों पर चालू है।
शहर में ताजिया सवारियों के निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। विभिन्न मोहल्लों में कारीगर दिन-रात एक कर जुटे हुए हैं।ताजिया का इतिहास बहुत पुराना है। बताया जाता है कि 13 वी सदी में दिल्ली के बादशाह तैमूर लंग ने सबसे पहले ताजिया बनवाया था। ताजिये हज़रत इमाम हुसैन के कर्बला स्थित रोजए मुबारक की आकर्षण झांकी के रूप में बनाये जाते है।
जबलपुर में मुहर्रम के मौके पर लगभग 50 बड़े छोटे ताजिये बनाये जाते है। मुहर्रम की दस तारीख को जब ताजिये रानीताल कर्बला में ठंडा करने ले जाये जाते है, तब अकीदतमंद अपने मासूम बच्चों को ताजिया के नीचे से निकालते है। ताकि उनके बच्चे साल भर स्वस्थ और निरोगी रहे। बड़ी मदार टेकरी, मोती नाला, गोहलपुर, फूटाताल, गलगला, ओमती, सदर, नया मुहल्ला, तथा कोतवाली में भी ताजिया निर्माण का कार्य किया जा रहा है।मुस्लिम बहुल क्षेत्र मंडी मदार टेकरी निवासी बाबा हलीम शाह मरहूम के फर्जन्द बाबा कलीम शाह व शमीम शाह खानदानी ताजियादार है। शाह घराने में पीढ़ियों से ताजियादारी का काम हो रहा है। संस्कारधानी में मुहर्रम का एक और प्रमुख आकर्षण कलात्मक सवारियाँ हैं। सवारियों की परम्परा दो-ढाई सौ साल पुरानी बताई जाती है। वर्षों पहले सदर मे कलात्मक सवारियों का निर्माण शुरू किया गया था। जो अब पूरे शहर मे फैल गया है। गढ़ा के पुराने मुजावर परंपरागत मखाने की सवारियां बनाते है।
मन्नत बाला ताजिया- सूफी बुजुर्ग हज़रत गुल बाबा अशरफी का कायम किया गया खानकाही ताजिया मंडी मदार टेकरी में रखा जाता हैं। हज़रत मखदूम अशरफ सिमनानी ताजिया कमेटी की
निगरानी में ताजिये का इंतेजाम किया जाता है।
गढ़ा बाज़ार स्थित मदरसा अहले सुन्नत के तत्वावधान में मुस्लिम युवाओं द्वारा इस्लामी नए साल के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हुसैनी शिक्षाओं को आम करने पर जोर दिया गया, साथ ही सामुदायिक सहयोग और उत्थान के लिए महत्वपूर्ण पहल की गई।
कार्यक्रम में गढ़ा बस्ती के दो व्यक्तियों को गोपनीय रोजगार प्रदान किया गया, जिससे उनके जीवन में स्थिरता लाने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, युवा वाजिद खान को MPPSC ऑनलाइन कोर्स मुफ्त प्रदान किया गया,
कार्यक्रम का शुभारंभ हाफ़िज़ नूरुल इस्लाम द्वारा पवित्र कुरान की तिलावत से हुआ, कार्यक्रम का संचालन हाफ़िज़ असद करबलाई ने किया। इस अवसर पर सैयद कादिर अली कादरी, हाजी शेख शहादत, मुबारक कादरी, हाजी फईम, नियाज़ मंसूरी सहित गढ़ा के कई बुजुर्ग और नौजवान उपस्थित रहे,
कार्यक्रम के अंत में, हाफ़िज़ इरफान मुस्तफाई ने देश की खुशहाली और अमन-चैन के लिए विशेष दुआ की, जिसके साथ ही कार्यक्रम का समापन हुआ।