कोलकाता लॉ कॉलेज गैंगरेप मामले की रिपोर्ट जितनी भयावह है, उससे कहीं अधिक डरावनी है वह चुप्पी — जो दो आरोपियों ने घटनास्थल पर दिखाई।
जब J छात्रा से बलात्कार की कोशिश कर रहा था, तब M और P मौजूद थे। न उन्होंने रोका, न विरोध किया — बल्कि तमाशा देखते रहे।
यह ‘तमाशाई मनोवृत्ति’ हमारे समाज की नई बीमारी बनती जा रही है।
आज सवाल रेप से नहीं, बल्कि उस भीड़ से भी है जो प्रतिरोध नहीं करती।
कानून तोड़ना अपराध है, पर इंसानियत छोड़ना उससे बड़ा पाप है।
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