मुख्यमंत्री के विवादास्पद बयान पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का विरोध प्रदर्शन, 'लाल सलाम' के समर्थन में उठीं आवाजें




मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के उस बयान के खिलाफ शुक्रवार को जबलपुर में जोरदार प्रदर्शन हुआ, जिसमें उन्होंने "लाल सलाम बोलने वालों को जीने का हक नहीं" कहा था। मुख्यमंत्री के इस बयान को फासीवादी मानसिकता की उपज बताते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने तीव्र विरोध दर्ज कराया।


सिविक सेंटर माढ़ोताल में आयोजित विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व भाकपा के राज्य सचिव अरविन्द श्रीवास्तव ने किया। इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं ने ‘लाल सलाम’ के नारों के साथ मुख्यमंत्री के बयान को लोकतंत्र के खिलाफ बताया और इसे संविधान विरोधी मानसिकता करार दिया।


प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री का यह बयान केवल विचारधारा का दमन नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम की विरासत का भी अपमान है। उन्होंने कहा कि "लाल सलाम" वह नारा है जो आज़ादी के आंदोलन में अनेक क्रांतिकारियों की शहादत से जुड़ा रहा है।


विरोध प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार के कुछ मंत्रियों द्वारा सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी का अपमान सुनियोजित तरीके से किया गया है। उन्होंने रक्षा बलों की निष्ठा पर सवाल उठाने वाले बयानों को राष्ट्रविरोधी बताया और कहा कि सेना की गरिमा को राजनीतिक हथियार बनाने की कोशिश देश के लिए घातक है।


पार्टी नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि विजय शाह और जगदीश देवड़ा जैसे मंत्री सिर्फ मोहरे हैं, असली खेल कहीं और से संचालित हो रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा और संघ परिवार की चुप्पी इन बयानों की मौन स्वीकृति का संकेत है।


इस विरोध प्रदर्शन में पी के बोस, एस के मिश्रा, राजेन्द्र गुप्ता, मुस्तफा अंसारी, अमीरुद्दीन अंसारी, कामरेड शफीक, शिव चौधरी, कौशल चौधरी, कृष्णा चौधरी, रामरतन पारस समेत अनेक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।


भाकपा नेताओं ने स्पष्ट किया कि वे "लाल सलाम" को देश की क्रांतिकारी विरासत का प्रतीक मानते हैं और इस पर कोई भी हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पार्टी ने आगे भी इस मुद्दे पर संघर्ष जारी रखने की चेतावनी दी है।

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