पल्मोनरी मेडिसिन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के पूर्व निदेशक डॉ जितेंद्र किशोर भार्गव के डिग्री के मामले माननीय उच्च न्यायालय ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से जवाब तलब किया।

जबलपुर। डॉ जितेंद्र किशोर भार्गव को प्राप्त डिग्री/डिप्लोमा के विषय में  शिकायत की गई थी जिसमें यह आरोपित किया गया था कि डॉ भार्गव ने अपेक्षित समय अवधि से पहले अपना डिप्लोमा पूरा कर लिया है और आवश्यक समय अवधि से पहले डिग्री भी प्राप्त कर ली है, इसके अलावा उपरोक्त डिग्री और डिप्लोमा का एक ही समय प्राप्त कर लिया  जो कि  नियमानुसार नहीं किया जा सकता है। 

संभागीय आयुक्त द्वारा उक्त शिकायत पर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय को  आवश्यक कार्यवाही करने हेतु निर्देश दिए गए थे एवं स्वयं भी इस मामले पर  संज्ञान लिया और 15.03.2024 को शिकायत पर विधिवत निर्णय लेते हुए डॉ भार्गव को तत्काल प्रभाव से सेवा से हटाने का आदेश दिया।

विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने 27.06.2024 ने आक्षेपित कार्यवाही में यह दर्ज किया कि डब्ल्यूपी संख्या 440/2024 रिट याचिका माननीय न्यायालय के समक्ष लंबित है, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है, जबकि उक्त याचिका में विश्वविद्यालय के विरुद्ध किसी भी प्रकार का स्थगन आदेश पारित नहीं हुआ था। इसके उपरांत विश्वविद्यालय द्वारा 02.01.2025 को आयोजित बैठक के एजेंडे में मामले को उसी नोट को बनाए रखा है जो अकादमिक परिषद की कार्यवाही दिनांक 27.06.2024 में उपलब्ध था। 

उल्लेखनीय है की दिनांक 02.01.2025 को आयोजित कार्यकारी बैठक में, डॉ भार्गव को दी गई डिग्री और डिप्लोमा को रद्द/वापस लेने का निर्णय लिया गया था, लेकिन कुछ रिट याचिकाओं के लंबित होने के बहाने, इसे ससाधित नहीं किया गया था, जबकि कोई स्थगन आदेश पारित नहीं हुआ था । 

विश्वविद्यालय द्वारा कार्यवाही बिना किसी स्थगन आदेश के बावजूद  कार्यवाही ना  करने के विरुद्ध पीजी मेडिसिन की तृतीय वर्ष के छात्र डॉ. रुद्रिका भटेले, डॉ. विपिन पटेल, डॉ. सुमित वर्मा द्वारा रिट याचिका क्र  6165/2025 दायर की गई थी, जिसमे विश्वविद्यालय को पूर्व में भी एवं आदेश दिनांक 08.05.2025 लिखित तर्क/जवाब प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया, परंतु विश्वविद्यालय द्वारा जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया, आज दिनांक 19.5.25 को याचिकाकर्ता के द्वारा आपत्ति लेने पर मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ द्वारा विश्वविद्यालय को जवाब प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया अन्यथा विश्वविद्यालय पक्ष सुने बिना याचिका का निराकरण किया जाएगा। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता पंकज दुबे, अक्षय खंडेलवाल के द्वारा, पक्ष रखा गया।

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