जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस.एन.भट्ट की एकल पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता देवेंद्र त्रिपाठी के आवेदन को 6 सप्ताह में निराकरण करने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता जे डी ए में स्टेनो के पद पर कार्यरत रहा। जबलपुर विकास प्राधिकरण द्वारा 10 सितंबर 2010 को कर्मचारी के कोटे के तहत प्लॉट आवंटन हेतु विज्ञापन सूचना समाचार पत्रों के माध्यम से निकाली गई थी! जिस पर याचिकाकर्ता भी विज्ञापन की शर्तों का पालन करते हुए भूखंड आवंटन के लिए ऑफर आवेदन पत्र भरकर विधिवत कार्यालय में जमा किया था जिस दिन आवेदन पत्र जमा हुआ उसी दिन ऑफर आमंत्रण खोला गया जिसमें याचिका की दर अन्य कर्मचारियों द्वारा डाले गए ऑफर से अधिक था इसके बाद भी प्राधिकरण ने याचिकाकर्ता के ऑफर को ठुकरा दिया जबकि कलेक्टर एवं विकास प्राधिकरण द्वारा निर्धारित दर से 40 रुपये से 100 तक अधिक दर आने पर एक प्लॉट का ऑफर कर्मचारी कोटा एवं अन्य आवेदकों को विक्रय किया गया यह सब देखते हुए वर्तमान गाइडलाइन दर 558 प्रति वर्ग फुट से 305 रुपया प्रति वर्ग फुट अधिक यानी 861 रुपए में दी गई थी जो की अधिकतम दर अंकित करने के बाद भी याचिकाकर्ता को भूमि का आवंटन नहीं किया गया जो अवैधानिक है!
याचिकाकर्ता द्वारा उक्त याचिका माननीय न्यायालय में 2011 में प्रस्तुत किया गया था जिसमें याचिकाकर्ता के पक्ष में अभी तक आवेदकगणों को यह निर्देश दिया गया था! उक्त भूखंड प्रकरण के अंतिम निराकरण के अधीन रहेगा जिस कारण भूखंड आज भी रिक्त है।
उच्च न्यायालय द्वारा आवेदक के आवेदनों का 6 सप्ताह के अंदर निराकरण करने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट एस. डी. गुप्ता, कपिल गुप्ता ने पैरवी की।