रंगभेद पर भारी पड़ा प्यार, जबलपुर के ऋषभ–सोनाली ने इंटरकास्ट मैरिज कर ट्रोलर्स को दिया जवाब

 सोशल मीडिया पर रंगभेद को लेकर ट्रोल किए जा रहे जबलपुर के कपल ऋषभ राजपूत और सोनाली चौकसे ने अपने प्यार और आत्मविश्वास से सभी आलोचनाओं को करारा जवाब दिया है। 2014 में कॉलेज के दिनों में शुरू हुई दोस्ती ने 2025 में शादी का रूप लिया। दोनों ने समाज की संकीर्ण सोच को नकारते हुए इंटरकास्ट मैरिज कर यह साबित कर दिया कि प्यार रंग, जाति या हैसियत से परे होता है।


ऋषभ और सोनाली की शादी के बाद जब उनके वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, तो कुछ लोगों ने त्वचा के रंग को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं। यहां तक कहा गया कि लड़का जरूर सरकारी नौकरी में होगा या उसके पास कई पेट्रोल पंप होंगे। इन सब पर प्रतिक्रिया देते हुए कपल ने साफ कहा कि उनका रिश्ता आपसी सम्मान, समझ और प्यार पर आधारित है, न कि रंग या दौलत पर।

2014 में कॉलेज से शुरू हुई कहानी


ग्वारीघाट निवासी ऋषभ राजपूत के पिता प्राइवेट नौकरी में हैं, जबकि मां शासकीय स्कूल से रिटायर्ड शिक्षिका हैं। वहीं सोनाली चौकसे डिंडौरी जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र से आती हैं, जहां उनके पिता किसान और मां गृहिणी हैं। सोनाली ने 2014 में हवाबाग कॉलेज में फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया था, यहीं उनकी मुलाकात ऋषभ से हुई। दोस्ती जल्द ही गहरी हो गई और दोनों ने कॉलेज लाइफ में ही तय कर लिया था कि आत्मनिर्भर होने के बाद शादी करेंगे।


कॉलेज के बाद दोनों ने नौकरी की तलाश शुरू की और 2020 में हैदराबाद की एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिल गई। आर्थिक रूप से स्थिर होने के बाद उन्होंने परिवार की सहमति से शादी का फैसला किया।

परिवार की सहमति के बाद हुई शादी


इंटरकास्ट मैरिज होने के कारण शुरुआत में सोनाली के पिता को आपत्ति थी, लेकिन ऋषभ के स्वभाव, पढ़ाई और करियर को जानने के बाद वे भी मान गए। ऋषभ के माता-पिता को सोनाली पहले से पसंद थीं, क्योंकि वह अक्सर उनके घर आती-जाती थीं। 4 दिसंबर 2025 को दोनों ने हिंदू रीति-रिवाज से विवाह कर लिया।

किन्नरों ने दिया आशीर्वाद


शादी के बाद दोनों जबलपुर में ही रुके हुए हैं और जल्द ही हैदराबाद लौटेंगे। हाल ही में किन्नरों की टोली घर पहुंची और नाच-गाना कर उन्हें आशीर्वाद दिया। किन्नर माही शुक्ला ने कहा कि सोशल मीडिया पर काले-गोरे को लेकर किए जा रहे कमेंट्स गलत हैं। प्यार ऊपर वाले की देन है और इसे रंग या जाति में नहीं बांटना चाहिए।



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