गांव की गलियों में कल रात दीये जलने थे, लेकिन अब शोक की मोमबत्तियाँ जल रही हैं। जिस आंगन में हल्दी लगी थी, वहां अब सफेद कपड़े फैले हैं। सूरज की मां को अभी तक यकीन नहीं हो रहा — "अभी तो उसने मुझे हँसते हुए अलविदा कहा था… कैसे मान लूं कि वो नहीं रहा?"
एक ही घर से जब 8 शव निकले, तो गांव में कोई नहीं बचा जो रोता न हो। तीन साल की ऐश्वर्या की नन्हीं चप्पलें अब भी दरवाजे के पास रखी हैं — शायद इस उम्मीद में कि वह लौटेगी।
गांव की एक बुजुर्ग महिला ने कहा, "ऐसा हादसा हमने अपने जीवन में नहीं देखा। ये कुदरत का कहर नहीं, इंसान की लापरवाही है।"