लंगड़ा, चौसा और दशहरी आम होंगे इंटरनेशनल ब्रांड, यूपी सरकार की बड़ी पहल

 वैश्विक उथल-पुथल, निर्यात की कठिनाइयों के बीच उत्तर प्रदेश का मशहूर दशहरी आम इस बार पहले से भी ज्यादा देशी-विदेशी शौकीन तक पहुंचने के लिए तैयार है। जहां इस बार बीते सालों के मुकाबले अच्छी फसल की उम्मीद की जा रही है वहीं दशहरी को बाजारों तक बेहतर हालात में पहुंचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का भी रंग दिखाई देगी। 

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार न केवल दशहरी बल्कि लंगड़ा और चौसा आमों की क्वालिटी को बेहतर बनाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग करेगी। आमों को रोगरहित और प्राकृतिक रूप से आकर्षक बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने बड़े पैमाने बागवानों को कागज के बैग बांटने शुरु किए हैं। पेपर बैगिंग से आम न केवल रोगों से बच सकेंगे बल्कि उनकी क्वालिटी भी बेहतर रहेगी। फल पट्टी क्षेत्र काकोरी-मलिहाबाद सहित प्रदेश के 13 जिलों में सरकार करीब 50 लाख से ज्यादा कागज के बैग बांटने जा रही है। उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पेपर बैगिंग से आमों को और आकर्षक बनाने में मदद मिलती है और उन पर मौसम की मार उस तरह से नहीं पड़ती है।

उद्यान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बीते साल प्रदेश से 567.62 टन आम का निर्यात किया गया था। इस बार 1,000 टन से अधिक निर्यात की उम्मीद है। पिछले साल प्रमुख रूप से नेपाल, यूएई, कतर एवं अन्य खाड़ी देशों के साथ रूस को आम भेजा गया था। इसके अलावा मुंबई व दिल्ली के कुछ एजेंटों के जरिये दशहरी आम अमेरिका व यूरोप में भी गया था। इस बार इन देशों के अतिरिक्त कोरिया, जापान और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से भी दशहरी के ऑर्डर मिले हैं। कारोबारियों का कहना है कि अमेरिका के साथ आयात शुल्क के संकट व कीमतों पर चली खींचतान के कारण वहां से सीधे बहुत कम ऑर्डर हैं। हालांकि इसके उलट यूरोप के कई नए देशों से ऑर्डर आ रहे हैं।

अगले महीने से चलेगी मैंगो एक्सप्रेस

अब उत्तर प्रदेश में विदेशों को निर्यात के लिए जाने वाले आमों के डॉट वेपर ट्रींटमेंट की सुविधा उपलब्ध नहीं है। अमेरिका, यूरोप सहित कई देशों को निर्यात किए जाने वाले आमों को कीटनाशक रहित, बेहतर शेल्फ लाइफ वाला बनाने के लिए इस ट्रीटमेंट की जरुरत होती है। उत्तर प्रदेश से खासकर दशहरी आमों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भेजने से पहले उन्हें हॉट वेपर ट्रीटमेंट के लिए हैदराबाद, बेंगलूरु व मुंबई भेजा जाता है। पिछले साल से ही बागवानों की सुविधा के लिए प्रदेश सरकार के अनुरोध पर रेल मंत्रालय ने विशेष वैगनों की व्यवस्था करते हुए मौंगो एक्सप्रेस का संचालन शुरू किया था। इस बार मैंगो एक्सप्रेस मई, जून व जुलाई में चलेगी। लखनऊ की मंडलायुक्त डॉ रौशन जैकब ने इन तीनों महीनों में रेल वैगन व कोल्ड वैगन मुंबई, बेंगलूरु व हैदराबाद के लिए लगातार एक दिन के अंतर पर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा आम निर्यातकों को हवाई जहाज से माल भेजने की दशा में सभी सुविधाएं एयरपोर्ट कार्गो पर उपलब्ध कराई जाएंगी। औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डॉट वेपर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए निवेश प्रस्ताव भी आए हैं और जल्दी ही उत्तर प्रदेश में ही इसकी सुविधा निर्यातकों को मिलने लगेगी।

ऊंचे ही रहेंगे आम के दाम

बीते दो सालों के मुकाबले इस बार उत्तर प्रदेश में आम की अच्छी फसल की उम्मीद है। इस बार सर्दियों में पाला और कोहरा कम पड़ने की वजह से फल-पट्टी क्षेत्र काकोरी मलिहाबाद से लेकर सीतापुर, हरदोई व उन्नाव तक में फैले दशहरी के बागों में 80 फीसदी तक बौर आए और उसमें भी 75 फीसदी फसल बच गई है। बीते सालों के मुकाबले इस बार आम की फसल पर कीटों का प्रकोप भी नहीं दिख रहा है। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) के विशेषज्ञों की भी कहना है कि बीते साल से इस बार फसल अच्छी है और उसकी क्वालिटी भी कमजोर नहीं है। बागवान शिवशरण सिंह का कहना है कि सर्दी के पूरे सीजन में एक समान मौसम रहा है, जिससे आम का बौर खराब नहीं हुआ है। इससे पेड़ों पर फल अच्छे आए हैं। कीमतों को लेकर कारोबारियों का कहना है कि पैदावारअधिक होने के बाद भी यह कम नहीं रहेगी। इसका एक बड़ा कारण बाहरी मांग में आई तेजी है। मलिहाबाद के आम कारोबारी शबीहुल हसन बताते हैं कि जिन दामों पर बाग बिके हैं उसे देख कर लगता नहीं कि आम की कीमत पिछले सालों के मुकाबले कहीं से भी कम रहेगी। वो कहते हैं कि अच्छी क्वालिटी के दशहरी की कीमत इस बार 40-50 रुपये से लेकर 60-80 रुपये किलो तक जाएगी। हालांकि जून के आखिर और जुलाई तक इसमें कुछ कमी आएगी पर दामों को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हुआ जा सकता है। 

ऑनलाइन ट्रेडिंग, बेहतर शेल्फ लाइफ से लाभ

पेपर बैगिंग और हॉट वेपर ट्रीटमेंट के साथ ही मलिहाबाद के मैंगो पैक हाउस की उम्दा पैकिंग ने न केवल दशहरी की क्वालिटी को बेहतर बनाया बल्कि उसकी शेल्फ लाइफ भी बढ़ी है। शबीहुल हलन बताते हैं कि शेल्फ लाइफ कम होना एक बड़ी वजह थी जिसके चलते दशहरी विदेशी बाजारों में कम ही पहुंच पाती थी। 

दुबई, शरजाह व जेद्दा की फ्लाइट सीधे लखनऊ से शुरू होने के बाद हालात बदले पर फिर भी जल्दी खराब होने वाली वैराइटी के चलते निर्यात उतना नहीं होता था जितना हापुस, बेगमपल्ली या अन्य आम। हसन का कहना है कि अब मैंगो पैक हाउस के प्रयासों से व पेपर बैगिंग व हॉट वेपर ट्रीटमेंट ने न केवल क्वालिटी में सुधार किया है बल्कि दशहरी अब 15 से 20 दिनों तक भी टिकने लगा है। इन सबके चलते विदेशी ही नहीं बल्कि देशी बाजार में भी मांग बढ़ी है। 

आम कारोबारी हकीम त्रिवेदी ऑनलाइन ट्रेडिंग को भी मांग में तेजी का एक बड़ा कारण मानते हैं। उनका कहना है कि कई ऑनलाइन प्लेटफार्म जहां फल, सब्जी व अनाज बिकते हैं उन पर दशहरी उपलब्ध है। सभी बड़े ऑनलाइन प्लेट फार्म पर आसानी से दशहरी उपलब्ध है। इसके अलावा कई उत्साही युवाओं ने स्थानीय स्तर पर दशहरी की ऑनलाइन डिलिवरी शुरू की है जिसे शानदार रिस्पांस मिल रहा है। हकीम कहते हैं कि ऑनलाइन बाजार ने कई स्थानीय उत्पादकों को आढ़तियों के चंगुल से मुक्ति भी दिलाई है। हालांकि अभी तादाद कम पर उनका कहना है कि आने वाले दिनों में ऑनलाइन बिक्री बागवानों को बेहतर कीमत भी दिलवाएगी और विचौलियों से राहत भी। 

पाकिस्तान के हवाई मार्ग का संकट

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के कड़े कदम और उस पर प्रतिक्रिया में पाकिस्तान के द्वारा अपने एयरस्पेस को भारत के लिएबंद करने का भी असर आम के निर्यात पर पड़ना तय है। स्थानीय कारोबारियों का कहना है कि अब कार्गो को लंबे रास्ते को तय करना होगा जिससे न केवल समय लगेगा बल्कि किराया भी अधिक लगेगा। उनका कहना है कि पिछली बार 2019 में इसी तरह की स्थिति आई थी तो भी नुकसान हुआ था। 

कारोबारी वीरेंद्र सिंह कहते हैं कि किराया उस समय बढ़ने जा रहा है अब ऑर्डर लग चुके हैं और डिलिवरी देनी है। इस समय निर्यातक अधिक कीमत की मांग भी नहीं कर सकते हैं और नुकसान उन्हें ही उठाना होगा। उनका कहना है कि इससे पहले मार्च के आखिरी में अमेरिका से मिलने वाले ऑर्डर पर ऊंचे टैरिफ का हवाला देकर कीमत घटाने की मांग सामने आई थी। हालांकि वो संकट तो तीन महीने के लिए टल गया पर कई लोगों ने पड़ता नहीं बैठने के चलते निर्यात के ऑर्डर नहीं लिए थे। 

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