नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में चुनाव सुधार (SIR) को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला बोला। करीब 28 मिनट के भाषण में उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी देश की संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा कर रही है और चुनाव आयोग को नियंत्रित कर लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा है। राहुल ने कहा कि यह केवल सत्ता का खेल नहीं, बल्कि देश के लोकतंत्र पर सीधा हमला है।
राहुल गांधी ने दावा किया कि आरएसएस और बीजेपी चुनाव आयोग, प्रवर्तन निदेशालय (ED), सीबीआई, आईबी और आयकर विभाग जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जब निष्पक्ष संस्थाएं दबाव में काम करने लगती हैं, तब लोकतंत्र की जड़ें कमजोर होती हैं।
सदन में भाषण के दौरान पांच बार हंगामा हुआ। हरियाणा की वोटर लिस्ट को लेकर जब कांग्रेस सांसदों ने ब्राजीलियन मॉडल की तस्वीरें दिखाईं तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला नाराज हो गए और कहा कि इस तरह सदन की कार्यवाही नहीं चल सकती।
राहुल गांधी ने सरकार के सामने तीन बड़ी मांगें रखीं। उन्होंने मांग की कि सभी राजनीतिक दलों को चुनाव से कम से कम एक माह पहले मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट दी जाए, सीसीटीवी फुटेज को नष्ट करने के नियम में बदलाव किया जाए और चुनाव के बाद ईवीएम की जांच की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि “वोट की चोरी से बड़ा कोई भी राष्ट्र विरोधी काम नहीं है” और सरकार जानबूझकर चुनाव सुधारों से भाग रही है।
इसके साथ ही राहुल गांधी ने सरकार से तीन अहम सवाल भी पूछे। उन्होंने सवाल उठाया कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया से भारत के मुख्य न्यायाधीश को क्यों हटाया गया, दिसंबर 2023 में ऐसा कानून क्यों बदला गया जिससे चुनाव आयुक्तों पर कार्रवाई नहीं हो सकती और चुनाव के सिर्फ 45 दिन के भीतर सीसीटीवी फुटेज क्यों डिलीट कर दी जाती है।
विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि एसआईआर के बहाने एनआरसी को लागू करने की साजिश चल रही है और डिटेंशन सेंटर बनाने की तैयारी की जा रही है। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि एसआईआर अब वोट डिलीट करने का हथियार बन चुका है और चुनाव आयोग को नागरिकता तय करने का अधिकार नहीं है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इसे गैरकानूनी बताते हुए तुरंत रोक लगाने की मांग की और कहा कि चुनाव ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से कराए जाने चाहिए।
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