विशाखापट्टनम। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री वर्चस्व के लिए जारी दौड़ में भारत ने एक और महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की है। भारतीय नौसेना में बुधवार को शामिल हुआ ‘अर्णाला’ — देश का पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट — अब भारत की समुद्री उपस्थिति को और व्यापक बनाएगा।
‘अर्णाला’ को खासतौर पर ऐसे मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है, जहां उथले समुद्र में पनडुब्बियों की निगरानी करनी होती है। यह पोत खोज और बचाव कार्यों के साथ-साथ कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों में भी उपयोगी है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के मद्देनज़र रणनीतिक रूप से अहम साबित हो सकता है।
इस पोत का नाम महाराष्ट्र के ऐतिहासिक अर्णाला किले के नाम पर रखा गया है, जो भारत की नौसेनिक परंपरा का प्रतीक है।
विशाखापट्टनम। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री वर्चस्व के लिए जारी दौड़ में भारत ने एक और महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की है। भारतीय नौसेना में बुधवार को शामिल हुआ ‘अर्णाला’ — देश का पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट — अब भारत की समुद्री उपस्थिति को और व्यापक बनाएगा।
‘अर्णाला’ को खासतौर पर ऐसे मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है, जहां उथले समुद्र में पनडुब्बियों की निगरानी करनी होती है। यह पोत खोज और बचाव कार्यों के साथ-साथ कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों में भी उपयोगी है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के मद्देनज़र रणनीतिक रूप से अहम साबित हो सकता है।
इस पोत का नाम महाराष्ट्र के ऐतिहासिक अर्णाला किले के नाम पर रखा गया है, जो भारत की नौसेनिक परंपरा का प्रतीक है।